प्यारे दोस्तों हिन्दी में कुछ लिखने की पहली कोशिश कि
और श्री श्रध्धा जैन वो खुद एक बेहतरीन गजलकारा है
उनकी आर्कुट कोम्युनिटी मे मेने पेश किया सभी ने सराहा
खुद श्रध्धाजी ने मेरा उत्साह बढाया उनका आभारी हुं
कर लो बातें कितनी भी, कभी खत्म ना होंगी, झांख के खयालों में देखा है,
चलता रहेगा सिलसिला आपसे, रिश्ता प्यारी दोस्ती का हमने देखा है!
होती है गुफतगु बिना लब्झ खुले, कहीं कल्म, किताबों में देखा है,
निगाहें करती है बातें, आपसे मिलके, खुद-ब-खुद नजारा हमने देखा है!
लिखें होंगे शायरों ने सुबहा के माजरे, कइ शेरों-गझलों में देखा है,
साथ है गर आपका, शाम ढले, उजाला सुहाना हमने देखा है!
कहेतें है कभी कुछ नहीं कह्ते "श्याम", कोरे कागज के टुकडों में देखा है,
शिकवा भी क्या करें, दोस्ती में आपकी, खुद खुदा को हमने देखा है!
श्याम-शून्यमनस्क
१४/०७/०९
wow hindi me to bahut hi achhca likha hai
ReplyDeleteकहेतें है कभी कुछ नहीं कह्ते "श्याम", कोरे कागज के टुकडों में देखा है,
शिकवा भी क्या करें, दोस्ती में आपकी, खुद खुदा को हमने देखा है!
vakei bahut khub
कहेतें है कभी कुछ नहीं कह्ते "श्याम", कोरे कागज के टुकडों में देखा है,
ReplyDeleteशिकवा भी क्या करें, दोस्ती में आपकी, खुद खुदा को हमने देखा है!
waah ! bhai... :)