अजीब है दौर, खालीपन-ए-शौकत-ए-शान खाली
दिल कहां पत्थर है पत्थर, मार नजरों से हमें
चला ले तीर और, देख, सब तेरे निशान खाली.
इत्तेफाकन जीतते है, या कारनामे है किस्मती
लडती है जुजती है, एक अकेली जान खाली
ये मेरा है वो मेरा है, लाखों है शख्स यहां तो
है क्या कोइ तेरा ? के है पुरा जहांन खाली?
रुतबा देखो कभी, ना-इश्क लाट-साहबों का
बडे लगतें है, पर आलिशान मकान खाली.
तौर-तरीखो से दुर रहेते है हम, गझलों के
युं समख लो बस, ये अंदाज-ए-बयान खाली.
आते है तो फिर क्युं चले जाते है लौट के
दिखावा करते है, संमदर के उफान खाली.
क्या है? चाहीये क्या कुछ तुझे शुन्यमनस्क?
कहा ना? मत हो मत हो श्याम परेशान खाली
-श्याम शून्यमनस्क
ता ०४/१२/१३
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